Aditya Kumar Daga
Astrology, Palmistry, Numereology, Vastu Consultant
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तुलसी मालायें
तुलसी श्री विष्णू की प्रिय, ईश्वर का एक अद्भुत चमत्कार है।
तुलसी दाने की माला शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हे। ये माला शरीर के कई रोगो को ठीक करती हे।
तुलसी माला धारण करने से कई तरह की नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त होती हैं।
तुलसी माला के जाप भर से श्री विष्णू की कृपा प्राप्त होती है।
हकिक मालाएं - Agates Necklace
हकिक रतन कई रंगो मे आते हैं तथा हर रंग के माला की अपनी एक खास उपयोगिता है जैसे :-
काले हकिक की माला नजर दोष से बचाती है, शत्रुओं से रक्षा करती हे।
लाल हकिक की माला उर्जा, शौर्य, शक्ति व बल देती है तथा विजय दिलाती हे।
नीले हकिक की माला शांति, मोक्ष, आत्म-चिंतन का मोका देती है।
हरे हकिक की माला सुख, स्वास्थ्य व समृध्धि देती हे।
पीले हकिक की माला वाणी पर वर्चस्व, सुर, संगीत पर अधिकार दिलाती हे
सफेद हकिक की माला आर्थिक सम्पन्न्त्ता, कर्ज मुक्ति, सहयोग दिलवाती हे।
इन मालाओं का अलग अलग ग्रहों, राशि, पर अधिकार होता हे।
और उन ग्रह राशियों की कुंडली में स्थिति के अनुसार बाधा, कष्ट, या अन्य समस्या के हिसाब से कवज तैयार करके लगाये जाते हे।
ये हकिक मालाएं शक्ति जागरण, तथा शत्रुओं का दमन करने के काम मे भी लायी जाती हे।
इन मालाओं पर जाप भी हो सकता हे या इनको सीधे सीधे पहना भी जा सकता हे।
घर के मन्दिर में स्थापित करने की विशेष वस्तुएँ
Auspicious Narayanshila : समृद्धिशाली नारायणशिला
Auspicious Sri Yantra : समृद्धिशाली श्री यंत्र।
Auspicious Tortoise - समृद्धिशाली कच्छप।
Auspicious Hanuman Gada - हनुमान जी की गदा
Auspicious Swastik : समृद्धिशाली स्वस्तिक
Auspicious Charan Paduka : समृद्धिशाली चरण पादुका
Auspicious Beryl or Ganapati : स्मृध्धिपृद गणपति!
Must keep in your Home or Office Temple
ऑफिस या घर के मन्दिर में जरुर रखे।
सम्पर्क करें:-
आदित्य कुमार डागा - +91 8961429776 ;
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Fees :- Rs. 1100/- ; Online Consultancy
Personal Visit at City : Kolkata, West Bengal
Address :- 3B Gopi Bose Lane , Kolkata- 12
Landmark : Adjacent Hotel Diamond Plaza, Back Gate of Loreto Convent Bowbazar , Kolkata
ज्योतिष सलाह के लिये सम्पर्क करे।सारा विवरण दिया हुआ हे हस्त रेखा, अंक शास्त्र तथा ज्योतिष गणना तीनों को मिलाकर सलाह दी जाती हे। जैसा की यहां विवरण दिया हुआ हे मेरी एक घण्टा सलाहकारीता की फीस नगण्य ही हे।
मेरी सलाह मात्र गणना करना ही नहीं हे। आपकी सारी समस्या मैं धैर्य के साथ सुनकर मनोवैज्ञानिक सलाह से भी दूर करता
यदि आप किसी भी तरह की घोर समस्या में फँस गये हे आर्थिक, स्वास्थ्य, विवाह या प्रेम संबंधित, कार्य या कोई तो एक बार सम्पर्क करें।
मैं किसी भी तरह से डर भय दिखाकर कोई रुपये नहीं कमाता तथा कोई महँगे उपाय नहीं बताता हूँ जब तक की बहुत ज्यादा ही जरूरी ना हो। अतः: निर्भीक होकर मिले तथा अपनी समस्याओं से निजात पाये।
कोई नहीं जानता किसकी सलाह पर आपका भविष्य सुन्दर हो जायेगा।
श्री दक्षिण मुखी गणपति यंत्र ।
ये सभी हिंदू धर्म के लोग जानते हे की प्राचीन काल से गणेश या गणपति जी की सर्व प्रथम पूजा का प्रचलन है ! क्योंकि भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया सर्व प्रथम पूजे जाने का। भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश तथा कार्तिकेय को शृश्टि का चक्कर लगा कर सर्व प्रथम जो उनके पास वापस पहुंचेगा उसे वरदान मिलेगा बोलकर प्रतिस्पर्धा दौड़ में भेजा था । कार्तिकेय तो चल दिये पर गणेश जी को युक्ति सुझी- वो अपने माता पिता का चक्कर लगा कर शिव जी के सामने प्रस्तुत हो गये और बोले हे मातृ पितृ आप दोनों ही तो मेरी शृश्टि हो अतः: मेरी परिक्रमा पूरी हुई।
शिव पार्वती उन्हे अवाक देखते रह गये और उनकी बुद्धि, ज्ञान, सूझ बुझ की क्षमता से चमत्कृत हो कर उन्हे सर्व प्रथम पूजे जाने का बरदाना दे दिया !
हर शुभ अशुभ कार्य के पहले लोग इसलिए गणेश को स्मरण करना नहीं भूलते।
चूंकि सूर्य और घड़ी सदा पूर्व से दक्षिण होते हुए पश्चिम की दिशा में जाती हे जिसे क्लॉक वाइज़ भी कहते हें अतः: दक्षिण मुखी गणपति या गणेश जी एक अलग ही विशेषता है । दक्षिण मुखी गणपति की पूजा साधना से जीवन आगे बढता है तथा सीधी सटिक राह पर चलता है ।
कोई भी लगन राशि हो या चंद्र या सूर्य राशि हो कभी भी श्री गणपति की पूजा करना नहीं छोड़े । बहुत अधिक लाभ जीवन मे हो या नहीं हो लेकिन आपको ऐसा जरुर लगेगा की बुरे से बुरे समय में भी कोई आपका साथ दे रहा है । बाकी बहुत बहुत अधिक लाभ या कोई अतिरिक्त अभिलाशा की पूर्ति के लिये कुछ अन्य उपाय भी करने पडते हे जो कुंडली से और प्रारब्ध से सम्भ्धित हैं ।
गणपति देव की पूजा का मंत्र है:- ऊं गं गणपतेय नम:।
कुंडली में जब जब बुध ग्रह की समस्या हो जैसे बुध मीन राशि पर नीच हो गया हो या कुंडली में जनम से ही वक्रि हो तो जरुर पूजा करें।
श्री हनुमत यंत्र
श्री हनुमान पूजा व श्री राम पूजा :- कोशिश करें हर मंगलवार की सुबह तथा हर शनिवार की शाम सदा श्री हनुमान जी की पूजा करें ।
मंत्र :- ऊं हनुमतेय नम: । इस मंत्र के साथ साथ हनुमान चालीसा तथा बजरंग बाण भी पढा करें । इसकी नियमित संख्या पर ना जाए। अपनी श्रद्धा अनुसार पढ़े।
कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हे जिनकी वजह से ऊपरी बाधा भुत प्रेत बुरी हवाओं का प्रभाव तथा नजर दोष आदी का विषम रूप से प्रभाव पड जाता हे। हनुमान जी की पूजा और कवज धारण सबसे सटिक, सरल, सुलभ उपाय है जिसे कोई भी, कभी भी, कहीँ भी कर सकता है
इसी तरह कुंडली में मंगल के गलत स्थति या निर्बलता या कोई और कारण से मंगल की खराबी या मांगलिक दोष का अचूक सटिक और सरल उपाय हे हनुमान पूजा ।
कुंडली को शनि और राहु के प्रकोप से भी हनुमान पूजा छुटकारा दिलाती है । आपके मन की मनोकामनाऑ को भी हनुमान पूजा पूरी करती है । शत्रुओं का दमन तथा द्वेष कर्म को सदा के लिये मिटाती है ।
यदा कदा जीवन मे बेबजह, अकारण रुकावटे, बाधाएं आती रह्ती हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा । पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी । ऊं ह्रीम श्रीम क्लीं मम कार्य सिध्धी देही देही! रोज 108 बार जाप करे।
लक्ष्मीदाता विजय बीसा यंत्र
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके ओंकार की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
यदा कदा जीवन मे बेबजह, अकारण रुकावटे, बाधाएं आती रह्ती हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा ।
पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी । 'ऊं नारायाणय नमो' ! रोज 108 बार जाप करे। पहले पन्चोप्च्जार पूजा कर ले।
श्री महालक्ष्मी सम्पुट
पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके 'ओं नारायाणय नमो' की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
एकाक्षरि लक्ष्मी पूजन यंत्र
यदा कदा जीवन मे बेबजह, अकारण रुकावटे, बाधाएं आती रह्ती हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा । पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी । सबसे आसान सबसे सुलभ।
'ऊं श्रीम' ! रोज 108 बार जाप करे। पहले पन्चोप्च्जार पूजा कर ले।
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके 'श्रीम' की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
श्री लक्ष्मी विनायक यंत्र
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! यहां एक और यंत्र प्रेषित कर रहा हूँ जो बहुत शक्तिशाली कारगर यंत्र हैं । पूर्व काल मे सिद्ध पुरोहित और ज्योतिष कई पीढीयों के दोष बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति के प्रारब्ध और इस जनम के क्या क्या दोष हैं और उन्हे कसे दूर किया जा सकता है ।
व्यक्ति के पैत्त्रिक गोत्र के अनुसार सटिक और उचित नक्षत्र, योग, तिथि में संकल्प कराया जाता था। तत पश्चात कोई भी प्रारब्ध से सम्बन्धित अनुष्ठान कराया जाता था । कई तरह के यंत्र हैं जो पैतृक गोत्र के अनुसार व्यव्हार मे लाये जाते हैं! में पाठक गण की सूवीधा के लिये कई यंत्र प्रेषित कर रहा हूँ । ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आते हैं । व्यक्ति के मन मे जिस यंत्र को व्यव्हार मे लाने की इच्छा उठे उसे ही प्रयोग मे लाये । कुछ मालुम नही एक आम व्यक्ति को कोन सा यंत्र कब, कहाँ, किस तरह, किस पूजा साधना से उसको लग जाए!
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही समस्या पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चित लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि, योग, नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कितना लाभ मिलता हैं!
शेष प्रभू कृपा ! आप सब अपना प्रयास करते रहे।
श्री सर्व बाधा हरण यंत्र - Solving All Problems
यदा कदा जीवन मे बेबजह, अकारण रुकावटे, बाधाएं आती रह्ती हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा । पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी । ऊं मम सर्व बाधा पृशमन कुरु कुरु! रोज 108 बार जाप करे। पहले पन्चोप्च्जार पूजा कर ले।
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके ओंकार की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
शत्रु विजय यंत्र - Controlling Enemy
यदा कदा द्वेष, इर्ष्या, जलन या स्वभाव के कारण व्यक्ति अपनी अकारण शत्रुता निकलाता रह्ता है और अच्छे लोगो को मालुम ही नही चल पाता है की क्या उपाय किया जाए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा । पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी ।
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके ओंकार की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
व्यापारिक सफलता यंत्र
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इस यंत्र की पूजा साधना से निश्चि सफलता प्राप्ति होती है ।
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे।
इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अतः: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
बपुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
श्री हनुमान बिसा यंत्र-1
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सदा फलदायक श्री हनुमान बीस यंत्र !
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
श्री हनुमान बिसा यंत्र-2
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lउपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
नेत्र रोग नाशक यंत्र !
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ये सभी तरह के नेत्र रोगो मे फायेदेमंद साबित हुआ हे। इस यंत्र का व्यव्हार पूरी श्रद्धा से करे !
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
श्री राम बीसा यंत्र !
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उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
मारुत यंत्र दुर्घटना नाशक
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हर हाल मे दुर्घटनाओ से रक्षा करता हे!
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
श्री नृसिंघ विष्णु अवतार यंत्र
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जीवन उर्जा, शक्ति, आशा, प्रेरणा प्राप्ति का अचूक यंत्र !
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
सर्व कामना सिद्धि यंत्र - Achieve Goal
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मन की कोई भी सात्विक छुपी कामना इस यंत्र की पूजा से पूर्ण होती है!
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
मनोकामना पूर्ण यंत्र ( To Achieve Wishes )
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आपके सुन्दर भविष्य के लिये! यंत्रो की पूजा सदा लाभ देती है!
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
Aditya Kumar Daga
Astrology, Palmistry, Numereology, Vastu Consultant
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