Astrology And Worship
Keys Of Better Living, Happy Living healthy Living - Spiritual Path
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- Aditya Kumar Daga
- ADITYA KUMAR DAGA LYRICIST, POET, COMPOSER & ARTIST, RESEARCHING IN VEDIC TEXT & ASTROLOGY ASTROLOGER, PALMIST, NUMEROLOGIST, FACE & BODY READER, VASTU CONSULTANT RUDRAKSH AND HERBAL THERAPIST VEDIC MANTRA, YANTRA & TANTRA THERAPIST AND HEALER
Friday, 20 September 2024
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Monday, 5 April 2021
प्रारब्ध और भाग्य ! शनि की साढे साती !
Thursday, 5 March 2020
Astrological Perspective Of Korona Virus ( Covid 19) and all sorts of Different Flu
Wednesday, 24 July 2019
अमूल्य ज्योतिष साधन
Aditya Kumar Daga
Astrology, Palmistry, Numereology, Vastu Consultant
https://adityaastroworld.wordpress.com
adityaastroworld@gmail.com
WhatsApp: 9477333055 ; Mobile : 8961429776
तुलसी मालायें
तुलसी श्री विष्णू की प्रिय, ईश्वर का एक अद्भुत चमत्कार है।
तुलसी दाने की माला शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हे। ये माला शरीर के कई रोगो को ठीक करती हे।
तुलसी माला धारण करने से कई तरह की नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त होती हैं।
तुलसी माला के जाप भर से श्री विष्णू की कृपा प्राप्त होती है।
हकिक मालाएं - Agates Necklace
हकिक रतन कई रंगो मे आते हैं तथा हर रंग के माला की अपनी एक खास उपयोगिता है जैसे :-
काले हकिक की माला नजर दोष से बचाती है, शत्रुओं से रक्षा करती हे।
लाल हकिक की माला उर्जा, शौर्य, शक्ति व बल देती है तथा विजय दिलाती हे।
नीले हकिक की माला शांति, मोक्ष, आत्म-चिंतन का मोका देती है।
हरे हकिक की माला सुख, स्वास्थ्य व समृध्धि देती हे।
पीले हकिक की माला वाणी पर वर्चस्व, सुर, संगीत पर अधिकार दिलाती हे
सफेद हकिक की माला आर्थिक सम्पन्न्त्ता, कर्ज मुक्ति, सहयोग दिलवाती हे।
इन मालाओं का अलग अलग ग्रहों, राशि, पर अधिकार होता हे।
और उन ग्रह राशियों की कुंडली में स्थिति के अनुसार बाधा, कष्ट, या अन्य समस्या के हिसाब से कवज तैयार करके लगाये जाते हे।
ये हकिक मालाएं शक्ति जागरण, तथा शत्रुओं का दमन करने के काम मे भी लायी जाती हे।
इन मालाओं पर जाप भी हो सकता हे या इनको सीधे सीधे पहना भी जा सकता हे।
घर के मन्दिर में स्थापित करने की विशेष वस्तुएँ
Auspicious Narayanshila : समृद्धिशाली नारायणशिला
Auspicious Sri Yantra : समृद्धिशाली श्री यंत्र।
Auspicious Tortoise - समृद्धिशाली कच्छप।
Auspicious Hanuman Gada - हनुमान जी की गदा
Auspicious Swastik : समृद्धिशाली स्वस्तिक
Auspicious Charan Paduka : समृद्धिशाली चरण पादुका
Auspicious Beryl or Ganapati : स्मृध्धिपृद गणपति!
Must keep in your Home or Office Temple
ऑफिस या घर के मन्दिर में जरुर रखे।
सम्पर्क करें:-
आदित्य कुमार डागा - +91 8961429776 ;
WhatsApp:- +91 94773 33055
Web :-
https://www.adityaastroworld.wordpress.com
Email:- adityaastroworld@gmail.com
Fees :- Rs. 1100/- ; Online Consultancy
Personal Visit at City : Kolkata, West Bengal
Address :- 3B Gopi Bose Lane , Kolkata- 12
Landmark : Adjacent Hotel Diamond Plaza, Back Gate of Loreto Convent Bowbazar , Kolkata
ज्योतिष सलाह के लिये सम्पर्क करे।सारा विवरण दिया हुआ हे हस्त रेखा, अंक शास्त्र तथा ज्योतिष गणना तीनों को मिलाकर सलाह दी जाती हे। जैसा की यहां विवरण दिया हुआ हे मेरी एक घण्टा सलाहकारीता की फीस नगण्य ही हे।
मेरी सलाह मात्र गणना करना ही नहीं हे। आपकी सारी समस्या मैं धैर्य के साथ सुनकर मनोवैज्ञानिक सलाह से भी दूर करता
यदि आप किसी भी तरह की घोर समस्या में फँस गये हे आर्थिक, स्वास्थ्य, विवाह या प्रेम संबंधित, कार्य या कोई तो एक बार सम्पर्क करें।
मैं किसी भी तरह से डर भय दिखाकर कोई रुपये नहीं कमाता तथा कोई महँगे उपाय नहीं बताता हूँ जब तक की बहुत ज्यादा ही जरूरी ना हो। अतः: निर्भीक होकर मिले तथा अपनी समस्याओं से निजात पाये।
कोई नहीं जानता किसकी सलाह पर आपका भविष्य सुन्दर हो जायेगा।
श्री दक्षिण मुखी गणपति यंत्र ।
ये सभी हिंदू धर्म के लोग जानते हे की प्राचीन काल से गणेश या गणपति जी की सर्व प्रथम पूजा का प्रचलन है ! क्योंकि भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया सर्व प्रथम पूजे जाने का। भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश तथा कार्तिकेय को शृश्टि का चक्कर लगा कर सर्व प्रथम जो उनके पास वापस पहुंचेगा उसे वरदान मिलेगा बोलकर प्रतिस्पर्धा दौड़ में भेजा था । कार्तिकेय तो चल दिये पर गणेश जी को युक्ति सुझी- वो अपने माता पिता का चक्कर लगा कर शिव जी के सामने प्रस्तुत हो गये और बोले हे मातृ पितृ आप दोनों ही तो मेरी शृश्टि हो अतः: मेरी परिक्रमा पूरी हुई।
शिव पार्वती उन्हे अवाक देखते रह गये और उनकी बुद्धि, ज्ञान, सूझ बुझ की क्षमता से चमत्कृत हो कर उन्हे सर्व प्रथम पूजे जाने का बरदाना दे दिया !
हर शुभ अशुभ कार्य के पहले लोग इसलिए गणेश को स्मरण करना नहीं भूलते।
चूंकि सूर्य और घड़ी सदा पूर्व से दक्षिण होते हुए पश्चिम की दिशा में जाती हे जिसे क्लॉक वाइज़ भी कहते हें अतः: दक्षिण मुखी गणपति या गणेश जी एक अलग ही विशेषता है । दक्षिण मुखी गणपति की पूजा साधना से जीवन आगे बढता है तथा सीधी सटिक राह पर चलता है ।
कोई भी लगन राशि हो या चंद्र या सूर्य राशि हो कभी भी श्री गणपति की पूजा करना नहीं छोड़े । बहुत अधिक लाभ जीवन मे हो या नहीं हो लेकिन आपको ऐसा जरुर लगेगा की बुरे से बुरे समय में भी कोई आपका साथ दे रहा है । बाकी बहुत बहुत अधिक लाभ या कोई अतिरिक्त अभिलाशा की पूर्ति के लिये कुछ अन्य उपाय भी करने पडते हे जो कुंडली से और प्रारब्ध से सम्भ्धित हैं ।
गणपति देव की पूजा का मंत्र है:- ऊं गं गणपतेय नम:।
कुंडली में जब जब बुध ग्रह की समस्या हो जैसे बुध मीन राशि पर नीच हो गया हो या कुंडली में जनम से ही वक्रि हो तो जरुर पूजा करें।
श्री हनुमत यंत्र
श्री हनुमान पूजा व श्री राम पूजा :- कोशिश करें हर मंगलवार की सुबह तथा हर शनिवार की शाम सदा श्री हनुमान जी की पूजा करें ।
मंत्र :- ऊं हनुमतेय नम: । इस मंत्र के साथ साथ हनुमान चालीसा तथा बजरंग बाण भी पढा करें । इसकी नियमित संख्या पर ना जाए। अपनी श्रद्धा अनुसार पढ़े।
कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हे जिनकी वजह से ऊपरी बाधा भुत प्रेत बुरी हवाओं का प्रभाव तथा नजर दोष आदी का विषम रूप से प्रभाव पड जाता हे। हनुमान जी की पूजा और कवज धारण सबसे सटिक, सरल, सुलभ उपाय है जिसे कोई भी, कभी भी, कहीँ भी कर सकता है
इसी तरह कुंडली में मंगल के गलत स्थति या निर्बलता या कोई और कारण से मंगल की खराबी या मांगलिक दोष का अचूक सटिक और सरल उपाय हे हनुमान पूजा ।
कुंडली को शनि और राहु के प्रकोप से भी हनुमान पूजा छुटकारा दिलाती है । आपके मन की मनोकामनाऑ को भी हनुमान पूजा पूरी करती है । शत्रुओं का दमन तथा द्वेष कर्म को सदा के लिये मिटाती है ।
यदा कदा जीवन मे बेबजह, अकारण रुकावटे, बाधाएं आती रह्ती हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा । पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी । ऊं ह्रीम श्रीम क्लीं मम कार्य सिध्धी देही देही! रोज 108 बार जाप करे।
लक्ष्मीदाता विजय बीसा यंत्र
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके ओंकार की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
यदा कदा जीवन मे बेबजह, अकारण रुकावटे, बाधाएं आती रह्ती हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा ।
पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी । 'ऊं नारायाणय नमो' ! रोज 108 बार जाप करे। पहले पन्चोप्च्जार पूजा कर ले।
श्री महालक्ष्मी सम्पुट
पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके 'ओं नारायाणय नमो' की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
एकाक्षरि लक्ष्मी पूजन यंत्र
यदा कदा जीवन मे बेबजह, अकारण रुकावटे, बाधाएं आती रह्ती हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा । पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी । सबसे आसान सबसे सुलभ।
'ऊं श्रीम' ! रोज 108 बार जाप करे। पहले पन्चोप्च्जार पूजा कर ले।
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके 'श्रीम' की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
श्री लक्ष्मी विनायक यंत्र
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! यहां एक और यंत्र प्रेषित कर रहा हूँ जो बहुत शक्तिशाली कारगर यंत्र हैं । पूर्व काल मे सिद्ध पुरोहित और ज्योतिष कई पीढीयों के दोष बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति के प्रारब्ध और इस जनम के क्या क्या दोष हैं और उन्हे कसे दूर किया जा सकता है ।
व्यक्ति के पैत्त्रिक गोत्र के अनुसार सटिक और उचित नक्षत्र, योग, तिथि में संकल्प कराया जाता था। तत पश्चात कोई भी प्रारब्ध से सम्बन्धित अनुष्ठान कराया जाता था । कई तरह के यंत्र हैं जो पैतृक गोत्र के अनुसार व्यव्हार मे लाये जाते हैं! में पाठक गण की सूवीधा के लिये कई यंत्र प्रेषित कर रहा हूँ । ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आते हैं । व्यक्ति के मन मे जिस यंत्र को व्यव्हार मे लाने की इच्छा उठे उसे ही प्रयोग मे लाये । कुछ मालुम नही एक आम व्यक्ति को कोन सा यंत्र कब, कहाँ, किस तरह, किस पूजा साधना से उसको लग जाए!
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही समस्या पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चित लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि, योग, नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कितना लाभ मिलता हैं!
शेष प्रभू कृपा ! आप सब अपना प्रयास करते रहे।
श्री सर्व बाधा हरण यंत्र - Solving All Problems
यदा कदा जीवन मे बेबजह, अकारण रुकावटे, बाधाएं आती रह्ती हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा । पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी । ऊं मम सर्व बाधा पृशमन कुरु कुरु! रोज 108 बार जाप करे। पहले पन्चोप्च्जार पूजा कर ले।
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके ओंकार की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
शत्रु विजय यंत्र - Controlling Enemy
यदा कदा द्वेष, इर्ष्या, जलन या स्वभाव के कारण व्यक्ति अपनी अकारण शत्रुता निकलाता रह्ता है और अच्छे लोगो को मालुम ही नही चल पाता है की क्या उपाय किया जाए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निश्चित निदान हे पर उसके लिये काफी विधि विधान मानना पड्ता है और उस प्रक्रिया को कोई ज्योतिष संचालित पुरोहित करे तो अच्छा । पर यदि खुद करना चाहे तो इस यंत्र की नित्य साधना करे आपको निश्चित सफलता मिलेगी ।
मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा ।
आप सभी पाठक गण इन यंत्रों पर ध्यान देते रहे और जो यंत्र मन आत्मा को अच्छा लगे उसको अपनाय तथा विधि विधान पन्चोप्चार से पूजा करके ओंकार की साधना करे । सबसे सरल उपाय ।
व्यापारिक सफलता यंत्र
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इस यंत्र की पूजा साधना से निश्चि सफलता प्राप्ति होती है ।
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे।
इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अतः: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
बपुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
श्री हनुमान बिसा यंत्र-1
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सदा फलदायक श्री हनुमान बीस यंत्र !
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
श्री हनुमान बिसा यंत्र-2
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lउपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
नेत्र रोग नाशक यंत्र !
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ये सभी तरह के नेत्र रोगो मे फायेदेमंद साबित हुआ हे। इस यंत्र का व्यव्हार पूरी श्रद्धा से करे !
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
श्री राम बीसा यंत्र !
(Picture Not Available )
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
मारुत यंत्र दुर्घटना नाशक
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हर हाल मे दुर्घटनाओ से रक्षा करता हे!
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
श्री नृसिंघ विष्णु अवतार यंत्र
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जीवन उर्जा, शक्ति, आशा, प्रेरणा प्राप्ति का अचूक यंत्र !
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
सर्व कामना सिद्धि यंत्र - Achieve Goal
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मन की कोई भी सात्विक छुपी कामना इस यंत्र की पूजा से पूर्ण होती है!
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
मनोकामना पूर्ण यंत्र ( To Achieve Wishes )
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आपके सुन्दर भविष्य के लिये! यंत्रो की पूजा सदा लाभ देती है!
उपर वर्णित पदत्ति से पूजा करे निश्चित मनोकामना पूर्ण होगी । मेंने पाठक गण की भलाई के लिये बहुत से यंत्र दिये हे! पूर्व काल मे पुरोहित और जागा आपकी कई पीढीयों के गोत्र बता देते थे जिससे ये पता लगता था की व्यक्ति सूर्यवंशी हे या चन्द्रवंशी या मिश्रित या कोई और! उसका गोत्र किस ऋषी मुनी या नक्षत्र के हिसाब से आया हुआ हे। इन सब बातो को ध्यान मे रखकर अलग अलग यंत्र की सटिक पूजा बतायी जाती थी पर धीरे धीरे कलियुग के बढ़ने के साथ साथ नियोग आदी प्रचलन मे आने के बाद कई वंशो के गोत्र जानने और उस हिसाब से पितरो आदी के काम के साथ साथ पूजा आदी के भी नियमो का बहुत उल्लंघन होने लगा।
अत: ये जितने तरह के यंत्र हे ये सब काम मे आने लगे । कुछ मालुम नही एक आम पुरोहित या व्यक्ति को कोन से यंत्र की कब, कहाँ, किस तरह, किस यंत्र की पूजा की जाए जो कोई खास मनोकामना को पूर्ण कर सके !
मेरी सलाह हे की हमारी आत्मा व जीव पूर्व जनम के संस्कारों से जड़ी हे अत: यदी आप अपनी अन्तरत्मा की आवाज सुने तो आपको खुद ये भाव आ जायगा की आप कोन से यंत्र की पूजा करे और ऐसा करने पर आपको खुद ही काफी मानसिक शान्ती मिलेगी और यंत्र पूजन का लाभ मालुम चलेगा
एक ही मनोकामना पूर्ति के कई कई यंत्र हे तथा अलग अलग विधि हे पूजा साधना की। आप सभी पाठक गण को जिस यंत्र पर और इश्वर के रूप पर आस्था लगे उस यंत्र की पूजा साधना पूरी तन्मयता और विधि विधान से करे निश्चि लाभ होगा !
पूजा साधना से पहले उपयुक्त तिथि योग नक्षत्र आदी देख तथा पूजा पन्चोप्चार आदी की प्रक्रिया पुरोहित से सीख ले ! घर मे ही कम से 54 दिनो तक करे देखे कित्ना लाभ मिलता हैं!
Aditya Kumar Daga
Astrology, Palmistry, Numereology, Vastu Consultant
https://adityaastroworld.wordpress.com
adityaastroworld@gmail.com
WhatsApp: 9477333055 ; Mobile : 8961429776
Tuesday, 25 June 2019
वैदिक ज्योतिष - Vaidik Jyotish - Hindu Ancient Astrology
आदित्य वैदिक ज्योतिष मात्र एक ज्योतिष संस्थान नहीं हे वरण आपके कष्टों का निवारण ईश्वरीय उपायों जैसे मंत्र, यंत्र, तंत्र, अनुष्ठान, साधना, जप, तप, होम द्वारा किया जाता हे। बिना प्रारब्ध, अकर्म, अधर्म, पाप, अभिशाप के जीवन में अनगिनत, अनवरत कष्ट नहीं आते एवम् लाख उपाय करने पर भी ये कष्ट दूर नहीं होते। सिर्फ ईश्वरीय उपाय ही इन कष्टों के निवारण का एक मात्र उपाय हे।
कुंडली के अष्टम, द्वादश, तृतीय व षष्ट भाव के अलावा विभिन्न भाव मे स्थित राहु केतू से पूर्व जनम से आये हुए कष्टों का पता चलता हे। हमारा संस्थान बहुत बारीकी से पहले आपके कुंडली के समस्त दोषो का आकलन करता हे फिर कोन से अनुष्ठान द्वारा सटिक रूप से इन कष्टों का निवारण करना हे ये तय करता हे और उसी के अनुसार आपका संकल्प लिया जाता हे ईश्वर को प्रेषित करने के लिये।
आपके गोत्र व संकल्प तथा संकल्प की सामग्री लेने के बाद आप उस अनुष्ठान में सम्मिलित रह भी सकते हैं, नहीं भी रह सकते हे। आपके गोत्र व संकल्प वस्तु से ईश्वर के पास आपकी हर समस्या के निवारण हेतु प्रार्थना प्रेषित होती रहती है। ईश्वर का आवाहन, आसन, आरम्भिक प्रेषण, षोडषोप्च्चार अर्पण, जप, व दशांश का होम इन समस्त प्रक्रियाओं द्वारा ये कार्य किया जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी आपका संकल्प व संकल्प की वस्तु होती हे। ये हमारे पास पहुंचने से आप कहीं भी हो आपका ये कार्य हो जाता हे। संकल्प अब ओंकार द्वारा फ़ोन पर भी लिया जाता हे। और आपके अनुष्ठान का वीडियो भी भेजा जाता है।
भारतीय धामों, शक्ति पीठों, ज्योतिर्लिंगो का महत्व एवम् इनसे सम्बन्धित जप, तप, होम व अनुष्ठान :-
इन धामो की प्राचीन कहानियां जगत के सृजन कर्ता , पालन हार व रक्षक श्री ब्रह्मा, शिव व विष्णू से जड़ी हुई हे। भारत के सभी मन्दिर शक्ति, भक्ति, श्रद्धा, शुध्त्ता, प्रेम, त्याग , समर्पण का प्रतीक हे तथा यहां आने वाले हर श्रद्धालु को ईश्वर सुन्दर जीवन व आजीवन रक्षा का आशीर्वाद देते हैं। श्री विष्णू भगवान की कृपा से इस प्राचीन मन्दिर का निर्माण हुआ था। इस मन्दिर के दर्शन मात्र से ही प्रारब्ध व इस जनम के असंख्य पाप कट जाते हैं।
और वैसे भी ये प्रसिद्ध मन्दिर हैं जिनमें प्रवेश मात्र से ही आत्मा की शान्ती व शुद्धि प्राप्त होती हे। मन में दबी छिपी मनो कामना पूरी होती हे। मोक्ष चाहने वालों को मोक्ष प्राप्ति होती हे। भारतवर्ष के जितने भी मान्यता प्राप्त मन्दिर हे वो एक शक्ति केंद्र की तरह होते हे। उनके दर्शन मात्र से ही शरीर में शक्ति का संचार होता हे जीवन का लक्ष्य प्राप्त होता हे।
जो लोग मन्दिर के दर्शन नहीं कर पाते हे वो उस मन्दिर के स्मरण के साथ साथ उससे सम्भ्धित अनुष्ठान करने से वही फल प्राप्त होता हे जो मन्दिर के दर्शन करने से। में इस तरह के सभी अनुष्ठान सम्पन्न करवाता हूँ। इच्छुक व्यक्ति का संकल्प लेकर पुरे नियम से ये कार्य किया जाता हे।
इसी तरह शक्ति पीठ हमारे देश की सिर्फ एक अध्यात्मिक विरासत ही नहीं है बल्कि हम सब के लिये दुख तकलीफ कष्ट बाधाओं में एक मुक्ति का मार्ग हैं । शास्त्र में लिखा हे की इन शक्ति पीठों में मन्नत माँगने पर जरुर पूरी होती हे। अतः: इनके दर्शन मात्र से व्यक्ति को शान्ती सुख और समृध्धि मिलती है। शक्तिपीठो के साथ साथ द्वादश ज्योतिर्लिंगो के दर्शन की भी हमारे शास्त्रों मैं बहुत ही ज्यादा महिमा हे ।
हिंदू वेदीक मान्यताओं के अनुसार मृत्योरप्रांत पितरो के मोक्ष के लिये कुछ नियत जगहों पर पितरो का कर्म काण्ड किया जाता है । मान्यता अनुसार इस त्रिस्थली में अपनी अपनी मान्यता और सुविधा अनुसार लोग तर्पण आदी के कर्म को पीर करते हे और ये जीवन में एक बार अवश्य करना पड्ता है पितरो की शान्ती और भविष्य के सुख और शान्ती के लिये ।
गंगा-यमुना-सरस्वती-भागीरथी-अलकनंदा-नर्मदा-गोदावरी-कृष्णा आदी नदियों के घाटों पर, सिद्ध पीठों - धर्म स्थानों पर , मजारों - दरगाहों में, ईश्वर-खुदा का सदा वास होता है एक अजीबोगरीब शक्ति, पवित्रता सुख और शान्ती का अनुभव होता है और पूर्ण विश्वास आस्था और समर्पण भाव से मांगी हुई मुरादें जरुर पूरी होती हे।
किन्तु जीवन में कभी कभी पाया जाता है या काफी उम्र बीत जाने पर ये एहसास होता हे की प्रारब्ध का भार या बोझ बहुत अधिक है और जनम का लिखा - विधि का विधान आगे ही नहीं बढ़ने दे रहा हे। लगता हे जैसे कोई रोक रहा है अटका रहा है ।
कभी पापों का बोझ लगता है घोर बीमारी के रूप मे तो कभी शत्रु हावी हो जाता हे बार बार। कभी शिक्षा अधुरी रह जाती है तो कभी आर्थिक क्लेश। कभी लडाई झगडे तो कभी अलगाव और दूरी । सब कुछ लगता है जैसे जन्म के समय लिख दिया गया है ।
में और मेरी पुरोहित की टीम पुरे नियमावली से ये बड़े पूजा सम्बन्धी अनुष्ठान करती हे। महामिर्त्यूंजय जाप और होम सबसे कठिन हे इन सब पूजा अनुष्ठानों में। फिर भी हमलोग ये सभी पूजा अनुष्ठान करते है । बगलामुखी, केमुद्रम, कालसर्प, काल भैरव, काली दक्षिण आदी पूजा अनुष्ठान करते हैं ।
Monday, 24 June 2019
Important Worships in Vedic Shastras
Touching feet of Cow
So besides Any Astrological Sign or factor one may wear it. Just once wear it and realise it's. Power.
Any one suffering from any problems related to Nervous System, Brain/Mind/Head troubles, Stress & Tensions of any kind specially Kids, Adolescent Children, Studying Girls and working women shall wear it compulsorily.
Any one want to fulfil his any of his desire, ambition, aim or dream must wear it and realise the magic.
Always wear it on any Monday. Always chant the mentioned Mantra :- Ohm Rudraaye Nameh Shivaaye Nameh - 21 Times Daily Morning( 6 Am - 7 Am) and Evening ( 6 PM - 7Pm).
Be blessed with God Blessing